Disclaimer: मेरे द्वारा लिखे हुए इस ब्लॉग से मैं किसी भी व्यक्ति, जाती, धर्म, या उसके किसी भी नियम का उलंघन नहीं करती बल्कि मेरे दिल में इन सबके लिए बहुत सम्मान और इज़्ज़त है मेरा उद्देश्य सिर्फ लोगो में मानवता एवं जागरूकता पैदा करना है धन्यवाद । 
 

आज मैं आप सबसे कुछ बातें करना चाहती हूँ। ऐसी बातें जो हम अपने समाज मे देखते ज़रूर है, सुनते भी है पर उस पे कभी चर्चा नही करना चाहते। उन बातों पे हम लोग अपना कभी कोई विचार या सोच नही दर्शाते है क्योंकि हम सबको लगता है इन बातों पे क्या चर्चा करना ये तो एक प्रथा है, जो वर्षों से चली आ रही है। पर दरअसल ये प्रथा नही, समाज मे खड़ी एक ऐसी दीवार है, जो अदृश्य होते हुए भी विधमान है। इस दीवार ने हमारे समाज और हमारी सोच को बाँट के रख दिया है। ये दीवार है, छूट-अछूत की, जातीवाद की।

जब हमसे कोई सामाजिक तौर से पूछता है की क्या हम जाती के नाम पर भेद-भाव करते है? तब हम बड़ी सरलता से ना करते है, पर सच्चाई तो हम बखूबी जानते है। ये ऊँच-नीच का भेद-भाव बड़े-छोटे शहरों एवं गाँव मे बहुत ही प्रत्यक्ष रूप से दिखाई देता है। एक देश के लिए जो ६९ वर्षो से स्वतंत्र है बहुत शर्म की बात है की हमने अभी तक जाती से आधारित अत्याचारो को अपने देश से स्वतंत्र नही किया है। अनगिनत लोगो को अपमानजनक स्तिथितियो मे रहना पड़ता है, बच्चो को शिक्षा के मंदिरो मे भी भेदभाव सहना पड़ता है, रोज़गार के बेहतर अवसर प्राप्त नही होते। क्या ये सही है?

कृपया कर के इस वीडियो लिंक पे क्लिक करे और देखे हमारे देशवासीयो की विचारधारायें, उनका बर्ताव दलित समाज के प्रति और बताइए क्या ये सही है?

https://www.youtube.com/watch?v=uM85zVt6xCU

हम अपनी आनेवाली पीढ़ी को क्या शिक्षा दे रहे है –

जाती के हिसाब से मित्रता करो, नीची जाती के लोगो से घृणा करो..? इस प्रकार की शिक्षा सही है या ग़लत इसका निर्णय लेना आपकी ज़िम्मेदारी है, लेकिन ये हम सबको सदेव याद रखना चाहिए की हम बदलेंगे, तभी युग बदलेगा, विचारधारायें बदलेंगी, एक नये समाज की उत्तपत्ति होगी जो हम सभी के लिए कल्याणकारी साबित होंगी।

हमारे समाज मे ऐसे कई व्यक्ति है जिन्होने अपने उपर जातिवाद का बहुत उत्पीरण सहा, पर कभी ज़िंदगी से हार नही मानी, और अपनी सक्षमता और काबिलियत साबित की और आज समाज मे उत्तम उधारण प्रस्तुत किया है। उनमे से एक है-  डॉक्टर (श्रीमती) कौशल पवार – एक प्राध्यापिका, एक प्रसिद्ध लेखिका, एक गृहणी, और एक माँ। आज ये Delhi University के कॉलेज मे संस्कृत पढ़ाती है। इन्होने संस्कृत भाषा मे P.hd की है और सारे ग्रंथो का गहरा अध्यन करके कई किताबे भी लिखी है। इनका भी बचपन किसी कम कठिनाइयो से नही गुज़रा, पर इन्होने अपने माता-पिता के सहयोग, आशीर्वाद और सक्षमता के बल पर आज ये मुकाम हासिल किया है हम सबको इन पर गर्व है।

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