हम अपने बच्चों की हमेशा बहुत चिंता करते है। उनके खाने-पीने से लेकर उनके कपड़ों तक का हमेशा ध्यान रखते है। समाज में उठने-बैठने के तरीके सिखाते है, पढ़ना, लिखना सब कुछ और यहाँ तक की उन्हें रास्ता किस तरह से पार करना है, ये तक बताते है। पर शायद हम उन्हें ये नहीं बताते की ‘अगर कोई व्यक्ति उन्हें गलत ढंग से या ज़बरदस्ती छूने की कोशिश करें, तब उन्हें क्या करना चाहिए..?’
बहुत से माता-पिता की ये धारणा होती है की ऐसी बातें अगर हम अपने बच्चों से करेंगे तो शायद उन पे बुरा प्रभाव पड़ेगा और वे गलत दिशा की ओर अग्रसर हो जायेंगे। मगर असल मायनों में ये गलत धारणा है। जिस तरह हम बढ़ो को Self-Defense Technique की जरुरत होती है, उसी तरह बच्चों को भी कुछ इन्ही सब तकनीकों की जरुरत है। बच्चों में Self-Defense का मतलब सिर्फ Judo या Karate ही नहीं होता, बल्कि उन्हें दिमागी तौर से इतना मज़बूत करना होता है की अगर कोई व्यक्ति उनके साथ बदसलूकी कर रहा है, तो वो इसके खिलाफ अपने माता-पिता से बोल सके। समझ सके की जो उनके साथ हो रहा है, वो गलत है, और इसमें उनकी कोई गलती नहीं है।
पर अब सवाल ये उठता है की बच्चों को ये सारी बातें बताए कैसे? किस तरह समझायें की ऐसी बड़ी बात उन्हें बहुत आसानी से समझ में आ जाए और उन पे कोई बुरा प्रभाव भी ना पड़े।
तो आइये, पढ़ते है निम्नलिखित 5 सुझावों जिससे बच्चे बच सकते है शारीरिक शोषण से:
बच्चों को उनके अंगों के बारे में बताएं-
जैसे ही बच्चा २ साल का होता है, आप उसे उसके शारीरिक अंगों के बारे में बताएं। यहाँ तक की उसके गुप्तांगों के बारे में भी। उसे समझायें की कोई भी व्यक्ति (मम्मी-पापा के सिवाए) उसके इन गुप्तांगों को नहीं छू सकता। और अगर कोई ऐसा करता है या करने की कोशिश करता है तो वहाँ ज़ोर से चिल्लाकर उस व्यक्ति को मना करें और वहाँ से भाग जाएं। इसकी खबर अपने माता- पिता को तुरंत दे।
बच्चों को सही-गलत की आत्मानुभूति करना सिखाएं-
जैसे की हम बड़े महसूस कर सकते है की किस तरह से छूना सही है या गलत, वही अहसास हमे बच्चों के अंदर भी जागृत कराना चाहिए। उन्हें ये बताइये की कोई भी ऐसा आलिंगन या चुम्बन जो उनकी इच्छा के विरुद्ध है, वो गलत है। बच्चों का चुम्बन उनके माता-पिता ही ले सकते हैं और कोई नहीं ।
प्रोत्साहित कीजिए ताकि बच्चा खुल के बात करे –
हमें अपने बच्चों को ये एहसास दिलाना चाहिए की हम उसके सबसे अच्छे दोस्त है। हम हमेशा उसकी सुरक्षा करेंगे, इसीलिए वो किसी भी प्रकार की बात हमसे बेझिझक कर सकते है। किसी भी प्रकार की बात बच्चे अपने माता-पिता से गुप्त ना रखें।
बच्चों को ‘ना’ बोलना सिखाये-
कई बार बच्चे शरीक शोषण का शिकार होते है क्योंकि उनकी अंदर ‘ना’ बोलने की ताकत नहीं होती। बच्चे डर जाते है, समझ नहीं पाते है की ‘ना’ कैसे बोलें, क्योंकि जो ये गलत हरकत कर रहा है वो तो जान-पहचान का ही है! क्या मम्मी पापा मेरी बातों का विश्वास करेंगे? इसीलिए, अपने बच्चों के अंदर आत्मविश्वास जगाइए, और गलत हरकतों के खिलाफ “ना” बोलना सिखाएं।
ध्यान रखें की आपका बच्चा सुरक्षित हाथों में हैं –
हमेशा ध्यान रहे की जब भी आप अपने बच्चे को अपनी नज़रों से दूर कर रहे हो तो आप उसे सुरक्षित हाथों में ही दे रहे हो। अब चाहे वो babysitter हो किसी नए स्कूल की टीचर। और यहाँ तक की अगर आपका बच्चा अपने दोस्त के घर खेलने भी जा रहा हो, तो एक बार जांच-पड़ताल ज़रूर कर लें।
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